International Women's Day: तेजी से बढ़ रहा है स्तन कैंसर, महिलाएं जान लें A to Z जानकारी

International Women's Day: तेजी से बढ़ रहा है स्तन कैंसर, महिलाएं जान लें A to Z जानकारी

सेहतराग टीम

ब्रेस्ट कैंसर, जिससे भारत में हर 8 में 1 महिला पीड़ित है। इसमें सबसे परेशान करने वाली बात है इसके लक्षणों को पहचानने में मुश्किल होना। अगर ब्रेस्ट कैंसर होने की जानकारी समय पर हो जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इससे पीड़ित महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है इसके बारे में सही और पूरी जानकारी न होना। इसलिए आज हमने इसे ठीक समझने के लिए दिल्ली स्तिथि एम्स अस्पताल की कैंसर स्पेशलिस्ट (AIIMS hospital cancer specialist) डॉक्टर प्रिया तिवारी से बात की। आइए ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर को ठीक से समझते हैं।

पढ़ें- International Childhood Cancer Day: बच्चों में कैंसर को लेकर एम्स की स्पेशलिस्ट डॉ. प्रिया तिवारी से कुछ सवाल-जवाब

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि कैंसर क्या होता है और यह कैसे होता है। जवाब है, शरीर के किसी हिस्से में कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि को कैंसर कहा जाता है और शरीर में बने ये टिश्यू लगातार बढ़ते रहने से इस टिश्यू के टुकड़े खून के रास्ते शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचते हैं और नई जगह पर विस्तार करने लगते हैं।

अब जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर कैसे होता है?

डॉक्टर प्रिया तिवारी ने बताया कि, स्तन (Breast) शरीर का एक अहम अंग है। स्तन का मुख्य कार्य अपने दुग्ध उत्पादक ऊतकों (टिश्यू) के माध्यम से दूध बनाना है। ये टिश्यू (Breast tissues) सूक्ष्म वाहिनियों (डक्ट) के जरिए निप्पल से जुड़े होते हैं। इसके अलावा इनके चारों ओर कुछ अन्य टिश्यू, फाइब्रस मैटेरियल, फैट, नाड़ियां, रक्त वाहिकाएं और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं, जो स्तन की संरचना को पूरा करते हैं। ज्यादातर स्तन कैंसर डक्ट में छोटे कैल्शिफिकेशन (सख्त कण) के जमने से या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ (Lump in Breast) के रूप में बनते हैं और फिर बढ़कर कैंसर का रूप लेने लगते हैं। इसका प्रसार लिंफोटिक चैनल या रक्त प्रवाह के जरिए अन्य अंगों की ओर हो सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर के लक्षण या पहचान कैसे करें (Breast Cancer Symptoms in Hindi)?

  • किसी स्तन में या बाहों के नीचे गांठ।
  • किसी स्तन के आकार, आकृति या ऊंचाई में अचानक कोई बदलाव दिखना।
  • स्तन का कोई हिस्सा बाकी हिस्सों से अलग दिखाई देना।
  • स्तन की त्वचा के नीचे कहीं सख्त अनुभव होना।
  • स्तन या निप्पल का लाल हो जाना।
  • स्तन से साफ या खून जैसे द्रव का बहना।
  • स्तन के टिश्यू या त्वचा का ज्यादा समय तक सख्त बने रहना।
  • स्तन या निप्पल की त्वचा पर कुछ अलग दिखना या अनुभव होना (डिंपल दिखना, जलन होना, लकीरें दिखना या सिकुड़न अनुभव होना)।

क्या हैं ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर के कारण और जोखिम (Breast cancer causes risk factors)?

अब तक ब्रेस्ट कैंसर होने के कारणों के बारे में कुछ खास तो नहीं पता चला है। हालांकि कुछ ऐसे जोखिम हैं जो स्तन कैंसर होने की वजहें बन सकती हैं। ध्यान  दें कि इस तरह की जोखिम वाली महिलाओं को लक्षणों पर लगातार गौर करते रहना चाहिए।

जोखिम- (Breast cancer risk factors):

1- पारिवारिक इतिहास: पारिवारिक इतिहास का जोखिम यानी रिस्क फैक्टर सबसे जरूरी है। स्तन कैंसर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ता है। अगर आपके सगे-संबंधी रिश्ते में किसी को स्तन कैंसर हो तो ऐसी महिला में स्तन कैंसर होने की आशंका अन्य की तुलना में करीब दोगुनी ज्यादा हो जाती है। दो जीन बीआरसीए1 और बीआरसीए2 इस बीमारी को आगे की पीढ़ी में ले जाते हैं और इनकी जांच से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी महिला में पारिवारिक इतिहास के कारण स्तन कैंसर होने का खतरा है नहीं। इसके अलावा स्तन कैंसर ही नहीं, अगर परिवार में किसी को किसी अन्य प्रकार का कैंसर हो, तब भी सतर्क रहना चाहिए।

2- हार्मोन: स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन का ज्यादा स्राव स्तन कैंसर होने की आशंका बढ़ा देता है। गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली और मोनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

3- उम्र: 50 साल से ज्यादा की उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।

4- मोटापा: मोटापा और शराब का सेवन भी महिलाओं में स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ा देता है।

5- जिन महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़े अलग-अलग समय में कुछ असामान्य बात रही हो, उन्हें स्तन कैंसर को लेकर सतर्क रहना चाहिए। जैसे कि, 12 साल से कम उम्र में मासिक धर्म शुरू होना, 30 साल की उम्र के बाद गर्भ धारण करना, 55 की उम्र के बाद मोनोपॉज होना और मासिक धर्म का चक्र 26 दिन से कम या 29 दिन से ज्यादा का होना।

स्तन कैंसर में कितने स्टेज होते हैं (Stages of Breast Cancer)?

जैसे-जैसे स्टेज बढ़ते हैं वैसे-वैसे बीमारी की गंभीरता बढ़ती है। आइए इसे ठीक से समझते हैं।

स्टेज 0 (Breast Cancer Stage 0): दूध बनाने वाले टिश्यू या डक्ट में बना कैंसर वहीं तक सीमित हो और शरीर के किसी अन्य हिस्से, यहां तक कि स्तन के बाकी हिस्सों तक भी नहीं पहुंचा हो।

स्टेज 1 (Breast Cancer Stage 1): टिश्यू का धीरे-धीरे विस्तार होने लगता है और यह आसपास के स्वस्थ टिश्यू को प्रभावित करने लगता है। यह स्तन के फैटी टिश्यू तक फैला हो सकता है और स्तन के कुछ टिश्यू नजदीकी लिंफ नोड में भी पहुंच सकते हैं।

स्टेज 2 (Breast Cancer Stage 2): इस स्टेज का कैंसर असामान्य रूप से बढ़ता है या अन्य हिस्सों तक फैलता है। हो सकता है यह बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैल चुका हो।

स्टेज 3 (Breast Cancer Stage 3): कैंसर हड्डियों या अन्य अंगों तक फैल चुका हो सकता है, साथ ही बाहों के नीचे 9 से 10 लिंफ नोड में और कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा फैल चुका होता है, जो इसके इलाज को मुश्किल बनाता है।

स्टेज 4 (Breast Cancer Stage 4): कैंसर लिवर, फेफड़ा, हड्डी और यहां तक कि दिमाग में भी फैल चुका होता है।

ब्रेस्ट कैंसर में किन सावधानियों को ध्यान रखें: (Breast Cancer Prevention)?

अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में एक ज्यादा लक्षण दिखें तो आपको तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। जल्दी और समय पर बीमारी का पता लगने पर बहुत ही कम इलाज और कम जटिलताओं के साथ ठीक किया जा सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर को लेकर खुद से जांच कैसे करें (Breast Self-Exam: How to Check for Lumps)?

डॉक्टर के मुताबिक, सभी महिलाओं को स्तन की आकृति, आकार, रंग, ऊंचाई और सख्ती में होने वाले बदलाव को सही तरह से समझने की जानकारी होनी चाहिए। किसी भी तरह का स्राव होने, स्तन, आसपास की त्वचा और निप्पल पर धारियां, निशान पड़ने या सूजन जैसी हर स्थिति पर ध्यान दें। खड़े होकर और लेटकर स्तनों का सही से परीक्षण करना चाहिए।

40 की उम्र के बाद अक्सर महिलाओं को हर एक साल में स्क्रीनिंग मैमोग्राम कराना चाहिए। वहीं अगर कैंसर को लेकर कोई पारिवारिक इतिहास हो तो उन महिलाओं को 20 साल की उम्र से ही हर 3 साल में जांच करानी चाहिए और 40 की उम्र के बाद हर साल जांच करानी चाहिए।

जो महिलाएं हाई रिस्क वाली श्रेणी में आती हैं उन्हें थोड़ा कम उम्र से ही हर साल स्क्रीनिंग मैमोग्राम करवाना शुरू कर देना चाहिए। 

मैमोग्राम के अलावा अल्ट्रासाउंड भी कराई जा सकती है। अगर रिस्क ज्यादा हो तो स्तन कैंसर की जांच के लिए स्तन की एमआरआई भी कराई जा सकती है।

स्तन कैंसर से बचाव (Breast Cancer Prevention): स्तन कैंसर के बारे में जरूरी जानकारी जैसे कारण और जोखिम यानी रिस्क फैक्टर का पता होने के बाद अगर अपनी सूझ-बूझ और सावधानी के साथ खुद का बचाव कर सकती हैं।

  • शराब के कम सेवन के साथ व्यायाम और स्वस्थ आहार से निश्चित रूप से कैंसर फैलने की आशंका को कम किया जा सकता है।
  • स्तन कैंसर के हाई रिस्क फैक्टर वाली महिलाओं टेमोक्सिफिन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मीनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में प्रयोग होने वाली दवा एविस्टा (रेलोक्सिफिन) का इस्तेमाल भी स्तन कैंसर से बचाव के लिए किया जाता है।
  • हाई रिस्क वाली महिलाओं में कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए ऑपरेशन के जरिये स्तन हटा दिया जाता है (इसे प्रीवेंटिव मास्टेक्टोमी) कहा जाता है।

ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर का इलाज: (Treatment of Breast Cancer Stages I-III)

डॉ. प्रिया तिवारी ने कहा कि जैसा हर कैंसर में होता है, स्तन कैंसर में भी इलाज इसी आधार पर तय होता है कि बीमारी का पता किस स्टेज पर चला है। इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी होती है। सीधे तौर पर कहें तो अगर आपको इसकी पूरी जानकारी है और आपको कोई लक्षण दिखता आपको लगता कि आपको अधिक खतरा है तो समय-समय पर जांच करवाते रहें और सही समय पता लगने पर आपके ठीक होने की उम्मीद कई गुना बढ़ जाती है या यूं कह लें आप इसे हरा सकती हैं।

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